मुकेश अंबानी, गौतम अडानी और रतन टाटा जैसे प्रमुख उद्योगपति भारत के तेजी से बढ़ते उपभोक्ता सामान (FMCG) बाजार में काफी निवेश कर रहे हैं.हिंदुस्तान यूनिलीवर और आईटीसी जैसी कंपनियां पहले ही मजबूत पैर जमा चुकी हैं. भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और उपभोक्ता बाजार के विस्तार के साथ, ये कॉर्पोरेट दिग्गज इस अवसर को जब्त करने के इच्छुक हैं.
मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज अपनी एफएमसीजी यूनिट में 3,900 करोड़ रुपये तक निवेश करने की तैयारी कर रही है. इक्विटी और कर्ज के जरिए जुटाए जाने वाले इस निवेश का मकसद हिंदुस्तान यूनिलीवर, आईटीसी, कोका-कोला और अडानी विल्मर जैसी स्थापित कंपनियों से सामना करना है. अदानी समूह एफएमसीजी क्षेत्र में भी अपना निवेश बढ़ा रहा है, मसालों, पैकेज्ड फूड और रेडी-टू-कुक सेगमेंट में तीन ब्रांड हासिल करने की योजना बना चूंकि है . इसके लिए वे एक अरब डॉलर के फंड का इंतजाम कर रहे हैं.
टाटा समूह की एफएमसीजी कंपनी टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (TCPL) नई उत्पाद श्रेणियों में प्रवेश कर अपनी उपस्थिति को मजबूत करने की कोशिश कर रही है. कंपनी ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए अपने पूंजीगत व्यय को दोगुना से अधिक बढ़ाकर 785 करोड़ रुपये कर दिया है, जिसमें से अधिकांश वियतनाम में एक नए संयंत्र की ओर जाएगा.हाल ही में, टीसीपीएल ने अपनी तीन सहायक कंपनियों- टाटा कंज्यूमर सोलफुल प्राइवेट लिमिटेड, नरिशको बेवरेजेज लिमिटेड और टाटा स्मार्टफूड्स लिमिटेड का विलय कर दिया.
रिलायंस, अडानी और टाटा जैसी कंपनियां ऐसे सेक्टर में निवेश क्यों कर रही हैं, जिसमें हिंदुस्तान यूनिलीवर, आईटीसी, नेस्ले इंडिया, ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज, गोदरेज, मैरिको और कोलगेट-पामोलिव जैसे मजबूत खिलाड़ी पहले से ही मौजूद हैं?
इसका जवाब भारत के तेजी से बढ़ते उपभोक्ता बाजार में निहित है. रिलायंस इंडस्ट्रीज ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि भारतीय खुदरा बाजार दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते बाजारों में से एक है. यह 2027 तक $ 1.4 ट्रिलियन को पार करने की उम्मीद है. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत 2030 तक अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा खुदरा बाजार बन जाएगा. प्रमुख चालकों में बढ़ता शहरीकरण, आय के स्तर में वृद्धि, कामकाजी महिलाओं की बढ़ती संख्या और एक महत्वाकांक्ष युवा आबादी शामिल है.
हालांकि, लघु से मध्यम अवधि में चुनौतियां हैं, जैसे मुद्रास्फीति और अनिश्चित मौसम की स्थिति. लेकिन लंबी अवधि के नजरिए से देखें तो भारत का एफएमसीजी सेक्टर रिलायंस, टाटा और अडानी जैसे समूहों के लिए आकर्षक लक्ष्य बना हुआ है.