भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम एक जुलाई से लागू हो गये है .
नए कानूनों का उद्देश्य ब्रिटिश-युग के कानूनों में पूर्ण बदलाव करना है, जिसमें आतंकवाद की स्पष्ट परिभाषा दी गई है, राजद्रोह को अपराध के रूप में समाप्त करना और कई अन्य परिवर्तनों के बीच ‘राज्य के खिलाफ अपराध’ नामक एक नई धारा शामिल करना है. इन तीन विधेयकों को पहली बार अगस्त 2023 में संसद के मानसून सत्र के दौरान पेश किया गया था। गृह मामलों की स्थायी समिति द्वारा कई सिफारिशें किए जाने के बाद शीतकालीन सत्र में नए मसौदे पेश किए गए. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि विधेयकों का मसौदा व्यापक विचार-विमर्श के बाद तैयार किया गया था और उन्होंने खुद मसौदे के हर अल्पविराम और पूर्ण विराम का अध्ययन किया था.
भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने वाले तीन नए आपराधिक कानून 1 जुलाई से लागू हो गये है . सरकार ने शनिवार को इसकी सूचना दी. तीन नए आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता और भारतीय नागरिक सुरक्षा .और भारतीय साक्ष्य अधिनियम.
भारतीय न्याय संहिता, 2023
यह भारतीय दंड संहिता, 1860 की जगह लाया गया .
राजद्रोह को हटा दिया गया है लेकिन विद्रोह और भारत की .संप्रभुता, एकता और अखंडता के खिलाफ कृत्यों को दंडित करने वाला एक और प्रावधान पेश किया गया है.
नाबालिगों के सामूहिक बलात्कार और मॉब लिंचिंग के लिए मौत की सजा.
सामुदायिक सेवाओं को पहली बार सजा के रूप में पेश किया गया है.
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023
यह सीआरपीसी, 1973 की जगह लाया गया है.
बहस पूरी होने के 30 दिनों के भीतर समयबद्ध जांच, परीक्षण और निर्णय का प्रावधान.
यौन उत् पीड़नों के बयान की वीडियो रिकार्डिंग अनिवार्य.
संपत्ति और अपराध से होने वाली आय की कुर्की के लिए एक नया प्रावधान जोड़ा गया है.
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023
इसने भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की जगह ली.
केस डायरी, एफआईआर, चार्जशीट और निर्णय सहित सभी रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण.
इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड का पेपर रिकॉर्ड के समान कानूनी प्रभाव, वैधता और प्रवर्तनीयता होगी.