दलित और आदिवासी संगठनों ने पिछड़े समुदायों के मजबूत प्रतिनिधित्व और सुरक्षा के मांग को लेकर 21 अगस्त को ‘भारत बंद’ करने की घोषणा की है.
सुप्रीम कोर्ट ने 1 अगस्त को एक ऐतिहासिक फैसले में फैसला सुनाया कि राज्यों के पास SC और ST को उप-वर्गीकृत करने की शक्ति है और कहा कि राज्य यह तय करे की वर्ग को पर्याप्त रूप से राज्यों में रिजर्वेशन मिले.
झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM), कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल ने मंगलवार (20 अगस्त, 2024) को घोषणा की वे अनुसूचित जाति (SC) आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के जवाब में बुधवार (21 अगस्त, 2024) को विभिन्न संगठनों द्वारा दिए गए भारत बंद को समर्थन देंगे.
दलित और आदिवासी संगठनों के राष्ट्रीय परिसंघ (NACDAOR) ने सात न्यायाधीशों की पीठ द्वारा हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध किया है, जो उनके अनुसार, ऐतिहासिक इंदिरा साहनी मामले में नौ न्यायाधीशों की पीठ के पहले के फैसले को कमजोर करता है, जिसने भारत में आरक्षण के लिए रूपरेखा तैयार की थी.
बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने भी बुधवार को एक दिवसीय भारत बंद का समर्थन किया और भाजपा एवं कांग्रेस पर आरक्षण खत्म करने के लिए मिलीभगत करने का आरोप लगाया. पार्टी ने कहा कि इन पार्टियों और अन्य को आरक्षण की जरूरत समझनी चाहिए और उससे खिलवाड़ नहीं करना चाहिए.
JMM ने अपने सभी नेताओं, जिला अध्यक्षों, सचिवों और जिला समन्वयकों से 14 घंटे की राष्ट्रव्यापी हड़ताल में सक्रिय रूप से भाग लेने और अपना समर्थन देने के लिए कहा है.
JMM महासचिव विनोद कुमार पांडेय ने एक बयान में कहा, ‘अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आरक्षण पर उच्चतम न्यायालय द्वारा हाल ही में दिया गया फैसला एससी/एसटी वर्गों के उत्थान और मजबूती के रास्ते में बाधा साबित होगा.